खेतों को पानी देकर फसल उगाने की प्रक्रिया को सिंचाई (Irrigation) कहते है (Irrigation is a artificial application of water)
वास्तव में सिंचाई के दो पहलू हैं (i) इंजिनियरिंग (ii) कृषि संबंधी
इंजीनियरिंग पहलू के अंतर्गत – बांध , बैराज, बियर, नहरें, प्रपात , हेडवर्क्स , हेडरेगुलेटर तथा क्रॉस ड्रेनेज कार्य आते हैं
कृषि संबधी पहलू के अंतर्गत – बांध बैराज, बीयर
पानी का।मुख्य स्रोत वर्षा हे , प्रत्येक फसल अपने पूरे काल में 15 या 20 दिन के अंतराल पर पानी मिलता रहना चाहिए
सिंचाई के लाभ
- उच्च कृषि उत्पादन में सहायक – सिंचाई से फसल उत्पादन में वृद्धि होती है, जिससे किसानों की आय में भी इज़ाफा होता है।
- व्यवसायिक फसलों की खेती संभव – नियमित जल आपूर्ति के कारण गन्ना, कपास, तंबाकू जैसी व्यवसायिक फसलों की खेती संभव हो पाती है।
- भूमि की उपयोगिता में वृद्धि – जिन ज़मीनों पर वर्षा आधारित खेती संभव नहीं थी, वहां भी सिंचाई के माध्यम से खेती संभव हो पाती है।
- औद्योगिक विकास में सहयोग – कृषि उपज बढ़ने से कृषि आधारित उद्योग जैसे कि खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा आदि का विकास होता है।
- बेरोजगारी में कमी – खेती से जुड़े कार्यों में वृद्धि होने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होते हैं।
- जल-विद्युत उत्पादन में सहायक – सिंचाई परियोजनाओं से बने बांध व जलाशयों के माध्यम से जल-विद्युत उत्पादन भी किया जा सकता है।
- नौवहन सुविधा – कुछ सिंचाई परियोजनाएं आंतरिक जल परिवहन (Inland Navigation) के लिए भी सहायक होती हैं।
- मत्स्य पालन में लाभ – सिंचाई बांधों और जलाशयों में मत्स्य पालन संभव होता है, जिससे अतिरिक्त आय प्राप्त होती है।
सिंचाई की हानिया
- जल भराव की समस्या (Water Logging) – अत्यधिक या अनुचित सिंचाई के कारण ज़मीन में जल भराव हो सकता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता घटती है।
- नमक जमाव (Salinity) – ज़मीन की सतह पर लवण जमने लगते हैं जिससे खेती योग्य भूमि अनुपजाऊ हो जाती है।
- भूमि का क्षरण (Soil Erosion) – ढालदार भूमि पर अत्यधिक सिंचाई से मिट्टी कटती है और भूमि की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं – जल भराव के कारण मच्छरों की संख्या बढ़ती है, जिससे मलेरिया, डेंगू जैसे रोग फैलते हैं।
- सिंचाई नालों पर क्रॉस-ड्रैनेज की आवश्यकता (Cross-drainage) – नालों के निर्माण से प्राकृतिक नालों पर रुकावट आती है, जिससे अतिरिक्त संरचनाओं की आवश्यकता होती है।
- महंगे निर्माण कार्य – सिंचाई प्रणाली का निर्माण खर्चीला होता है, जिससे यह विकासशील देशों के लिए आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण होता है।